Wednesday, August 25, 2010

zara idhar bhi: प्लीज़, बहस कीजिये

zara idhar bhi: प्लीज़, बहस कीजिये: "मैं आपको यह खबर इसलिए नहीं दे रहा हूं, कि यह सनसनीखेज है। इस तरह की घटनाएं देश के दिगर इलाकों में नहीं होती होंगी, ऐसी भी बात नहीं। असल में ..."

Tuesday, August 24, 2010

हैरतअंगेज

zara idhar bhi: पेड़ों को भाई बनाएं

zara idhar bhi: पेड़ों को भाई बनाएं: "सुनीति यादव वृक्षों के महत्व को रेखांकित करते हुए भगवान बुद्ध ने कहा है कि वृक्ष तो असीम कृपा एवं कल्याण के स्त्रोत हैं। वे अपने लिए कुछ नही..."

Sunday, August 22, 2010

zara idhar bhi: मजार का दिल धड़कते देखा?

zara idhar bhi: मजार का दिल धड़कते देखा?: "२२ अगस्त की शाम सहारा समय (मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़) ने एक खास खबर चलाई। खबर के मुताबिक उज्जैन की एक मजार का दिल धड़क रहा था। इसके विजुवल शा‍‍‍‍..."

zara idhar bhi: जो आसमान से गिरा वो क्या था ?

zara idhar bhi: जो आसमान से गिरा वो क्या था ?: "दो रहस्यमयी खबरें हैं। दोनों ही छत्तीसगढ़ से ही हैं। पहली खबर यह है कि यहां के जशपुर इलाके में आसमान से कोई भारी-भरकम चीज एक खेत में गिरी। य..."

Friday, August 20, 2010

zara idhar bhi: विज्ञापन सुंदरी

zara idhar bhi: विज्ञापन सुंदरी: "चौपाल की ओर गया था तो बाबा नागर्जुन की कविता मिल गई। अपनी ही समझकर साथ ले आया- रमा लो मांग में सिन्दूरी छलना… फिर बेटी विज्ञापन लेने निक..."

Thursday, August 19, 2010

zara idhar bhi: इधर है नत्था

zara idhar bhi: इधर है नत्था: "पिपली लाइव की जबर्दस्त सफलता के बाद नत्था यानी ओंमकारदास मानिकपुरी पहली बार अपने घर छत्तीसगढ़ आए हैं। ."

zara idhar bhi: नत्था : ये है संघर्ष की असल दास्तां

zara idhar bhi: नत्था : ये है संघर्ष की असल दास्तां: " ठाकुरराम यादव कि गिरते हैं जी भरकर पहुंचना है जिनको बुलंदियों पर, लिखते हैं तकदीर वही लकीरे न हों जिनकी हथेलियों पर...यह पंक्ति छत्तीसगढ़ क..."

Wednesday, August 18, 2010

zara idhar bhi: नत्था : ये है संघर्ष की असल दास्तां

zara idhar bhi: नत्था : ये है संघर्ष की असल दास्तां: " ठाकुरराम यादव कि गिरते हैं जी भरकर पहुंचना है जिनको बुलंदियों पर, लिखते हैं तकदीर वही लकीरे न हों जिनकी हथेलियों पर...यह पंक्ति छत्तीसगढ़ क..."

zara idhar bhi: पैसा-वैसा शोहरत-वोहरत ठेंगे पर

zara idhar bhi: पैसा-वैसा शोहरत-वोहरत ठेंगे पर: " केवल कृष्ण रायपुर। बरसों पहले पढ़ी एक कविता के कुछ शब्द याद आ रहे हैं:- एक चिड़िया का बच्चा/ सूरज की तपिश से झुलसने लगा/ तो जाने क्या सूझी..."

Tuesday, August 17, 2010

zara idhar bhi: इधर है नत्था

zara idhar bhi: इधर है नत्था: "पिपली लाइव की जबर्दस्त सफलता के बाद नत्था यानी ओंमकारदास मानिकपुरी पहली बार अपने घर छत्तीसगढ़ आए हैं। ."

Friday, August 13, 2010

झंडा फहराने का सही तरीका

 महत्वपूर्ण अवसरों पर पूरी गरिमा और सम्मानपूर्वक राष्टÑीय ध्वज फहराने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा भारतीय झंडा संहिता 2002 बनाया गया है।  छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा उक्त संहिता के अनुरूप आम जनता से राष्टÑीय ध्वज पूरी गरिमा और सम्मान के साथ फहराने की अपील की गई है। अपील में कहा गया है कि महत्वपूर्ण राष्टÑीय कार्यक्रमों, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर आम जनता द्वारा कागज के बने झंडों को हाथ में लेकर लहराया जा सकता है, लेकिन समारोह के पश्चात इन झंडों को विकृत अथवा जमीन पर फेंका नहीं जाना चाहिए। जहां तक संभव हो ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकांत में किया जाए। इन अवसरों पर प्लास्टिक के बने झंडों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
झंडा फहराने का सही तरीका  
भारतीय झंडा संहिता की धारा तीन में राष्टÑीय ध्वज फहराने का सही तरीका बताया गया है। इसके अनुसार जब भी राष्टÑीय ध्वज फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिए। राष्टÑीय ध्वज ऐसी  जगह पर फहराया जाए, जहां से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे। यदि किसी सरकारी भवन पर झंडा फहराने का प्रचलन है, तो उस भवन पर रविवार और अन्य अवकाश दिवसों में भी सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक ध्वज फहराया जाए, चाहे मौसम कैसा भी क्यों ना हो। झंडे को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे एवं आदर के साथ उतारा जाए। झंडे को फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है, तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए। जब झंडा किसी भवन की खिड़की, बालकनी अथवा अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो झंडे की केसरी पट्टी सबसे दूर वाले सिरे पर होनी चाहिए। जब झंडे का प्रदर्शन किसी दीवार के सहारे आड़ा और चौड़ाई में किया जाता है तो केसरी पट्टी सबसे ऊपर रहेगी और जब वह लम्बाई में फहराया जाए तो केसरी पट्टी झंडे के हिसाब से दांई ओर होगी अर्थात झंडे को सामने से देखने वाले व्यक्ति के बांयी ओर होगी। यदि झंडे का प्रदर्शन सभा, मंच पर किया जाता है, तो उसे इस प्रकार फहराया जाए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो, तो झंडा उनकी दाहिनी ओर रहे अथवा झंडे को दीवार के साथ वक्ता की पीछे और उसके ऊपर आड़ा फहराया जाए। किसी प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर झंडे को सम्मान के साथ और पृथक रूप से प्रदर्शित किया जाए। जब झंडा किसी मोटर कार पर लगाया जाता है तो उसे बोनट के आगे बीचों-बीच या कार के आगे दांई ओर कस कर लगाए हुए डंडे पर फहराया जाए। जब राष्टÑीय ध्वज किसी जुलूस या परेड में ले जाया जा रहा हो तो वह मार्च करने वालों के दाई ओर अर्थात झंडे के भी दाहिनी ओर रहेगा। यदि दूसरे झंडे की कोई लाईन हो तो राष्टÑीय झंडा उस लाईन के मध्य में आगे होगा।
झंडा फहराने का गलत तरीका  
झंडा संहिता की धारा चार के तहत फटा हुआ या मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जा सकेगा। किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए झंडे को झुकाया नहीं जाएगा। किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्टÑीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा और ना ही कोई वस्तु उस ध्वज दंड के ऊपर रखी जाएगी, जिस पर झंडा फहराया जाता है। इन वस्तुओं में फूल मालाएं अथवा प्रतीक भी शामिल हैं। फूलों का गुच्छा या झंडिया या बंदनवार बनाने या किसी दूसरे प्रकार की सजावट के लिए झंडे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। झंडे का प्रयोग ना तो वक्ता की मेज को ढकने के लिए और ना ही वक्ता के मंच को सजाने के लिए किया जाएगा। केसरी पट्टी को नीचे रखकर झंडा नहीं फहराया जाएगा। झंडे को जमीन या फर्श छूने या पानी में घसीटने नहीं दिया जाएगा। झंडे का प्रदर्शन इस प्रकार बांधकर नहीं किया जाएगा जिससे की वह फट जाए।
झंडे का दुरूपयोग
भारतीय झंडा संहिता की धारा पांच में झंडे के दुरूपयोग को रोकने के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसके अनुसार राजकीय, सैन्य, केन्द्रीय अर्ध्द सैनिक बलों से संबंधित शव यात्राओं को छोड़कर झंडे का प्रयोग किसी भी रूप में लपेटने के लिए नहीं किया जाएगा। झंडे को वाहन, रेल गाड़ी अथवा नाव की टोपदार छत, बगल अथवा पिछले भाग को ढकने के काम में नहीं लाया जा सकता। झंडे का प्रयोग इस प्रकार से नहीं किया जाए या उसे इस प्रकार से नहीं रखा जाएगा कि वह फट जाए अथवा मैला हो जाए। जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए, तो उसे फेंका नहीं जाएगा और ना ही अनादर-पूर्वक उसका निपटान किया जाए, बल्कि झंडे को एकांत में पूरा नष्ट कर देना चाहिए। बेहतर होगा यदि उसे जलाकर या उसकी मर्यादा के अनुकूल किसी दूसरे तरीके से नष्ट कर दिया जाए। झंडे का प्रयोग किसी भवन में पर्दा लगाने के लिए नहीं किया जाएगा। किसी प्रकार की पोशाक या वर्दी के भाग के रूप में झंडे का प्रयोग नहीं किया जाएगा। इसे गद्दियों, रूमालों, बक्सों अथवा नेपकीनों पर काढ़ा या छापा नहीं जाएगा। झंडे पर किसी प्रकार के अक्षर नहीं लिखे जाएंगे। किसी भी प्रकार के विज्ञापन के रूप में झंडे का प्रयोग नहीं किया जाएगा और ना ही उस डंडे पर विज्ञापन लगाया जाएगा जिस पर कि झंडा फहराया जा रहा है। झंडे को किसी वस्तु को प्राप्त करने, देने, पकड़ने या ले जाने वाले पात्र के रूप में भी प्रयोग नहीं किया जा सकेगा। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्टÑीय दिवसों पर समारोह के एक अंग के रूप में झंडे को फहराने से पूर्व फूलों की पंखुड़ियां रखी जा सकती है।
झंडे को सलामी
 झंडा   संहिता की धारा छह के अनुसार झंडे को फहराते समय या उतारते समय या झंडे को परेड में या किसी निरीक्षण के अवसर पर ले जाते समय वहां पर उपस्थित सभी लोग झंडे की ओर मुंह करके सावधान की अवस्था में खड़े होंगे। वर्दी पहने हुए व्यक्ति समुचित ढंग से सलामी देंगे। जब झंडा सैन्य टुकड़ी के साथ हो तो उपस्थित व्यक्ति सावधान खड़े होंगे या जब झंडा उनके पास से गुजरे तो वे उसको सलामी देंगे। गणमान्य व्यक्ति सिर पर कोई वस्त्र पहने बिना भी सलामी ले सकते हैं। (jansampark chhattisgarh dwara jari)